यह कहानी पूर्व विधायक वांगवीती मोहन रंगा और उनके भाई वांगवीती राधा के बारे में है। यह 70 और 80 के दशक के दौरान विजयवाड़ा में जाति युद्ध और राजनीतिक अशांति के दौरान उनके प्रभाव और सत्ता की वृद्धि से संबंधित है।
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